डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐसे कानून पर हस्ताक्षर किया है जिसके तहत चीनी कंपनियों को अमेरिकी एक्सचेंज (Chinese Comapanies Will Be Out Of American Exchange) से बाहर निकाल सकता है. इस कानून के तहत लगातार 3 साल तक अपनी ऑडिट सूचनाएं शेयर बाजार नियामक को नहीं देने वाली कंपनियां अमेरिकी शेयर बाजार से बाहर कर दी जाएंगी.
अमेरिका और चीन (America Vs China) के बीच वर्ष 2020 का साल बहुत उठापठक से भरा रहा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) का कार्यकाल समाप्त होने वाला है और 20 जनवरी 2021 को बाइडन राष्ट्रपति पद के लिए शपथ ग्रहण करने वाले हैं. इसके बावजूद डोनाल्ड ट्रंप अपनी विदाई के आखिरी घड़ी में चीन से दो दो हाथ करना चाहते हैं. ट्रंप ने एक ऐसे कानून पर हस्ताक्षर किया है जिसके तहत चीनी कंपनियों को अमेरिकी एक्सचेंज (Chinese Comapanies Will Be Out Of American Exchange) से बाहर निकाल सकता है. इस कानून के तहत लगातार 3 साल तक अपनी ऑडिट सूचनाएं शेयर बाजार नियामक को नहीं देने वाली कंपनियां अमेरिकी शेयर बाजार से बाहर कर दी जाएंगी.
मई 2020 में अमेरिकी सीनेट की आसानी से मंजूरी मिलने के बाद इस महीने की शुरूआत में इस डी-लिस्टिंग कानून ने सदन में द्विदलीय समर्थन हासिल किया.
9 करोड़ से ज्यादा चीनी यात्रियों की ट्रेवल वीजा सीमित की जाएंगी
ट्रंप के इस कानून पर हस्ताक्षर करने के बाद चीन के खिलाफ और बहुत सारे कदम उठने वाले हैं, जिनमें वो गाइलाइन भी शामिल हैं जिसके तहत कम्युनिस्ट पार्टी के 9 करोड़ से ज्यादा सदस्यों की ट्रेवल वीजा को सीमित कर दिया जाएगा. चीन के जिन यात्रियों को 10 साल की वीजा दी गई थी, उसे घटा कर एक महीने तक सीमित कर दिया जाएगा.
बायडू को भी लगेगा झटका
ट्रंप के इस कदम से दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ने की संभावना है. जनवरी में राष्ट्रपति पद छोड़ने से पहले ट्रम्प का यह कानून चीन की तरफ मारा गया उनके तरकश का आखिरी तीर साबित होगा. इस कदम से अलीबाबा ग्रुप होल्डिंग लिमिटेड और Baidu इंक जैसे कॉर्पोरेट दिग्गज भी बहुत अधिक प्रभावित होंगे. राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन और चीनी कंपनियों के अनुचित व्यवहार के चलते यह कदम उठाया है. इस पूरे साल ट्रंप कोरोनावायरस के लिए चीन को दोषी ठहराते रहे और यह उनकी चुनावी हार के पीछे भी एक बड़ा मुद्दा बना था. अमेरिका के इस नए कानून में वहां कारोबार कर रही चीनी कंपनियों को इस बात का जवाब देना होगा कि क्या वे चीन की कम्युनिस्ट सरकार समेत किसी विदेशी सरकार के स्वामित्व या नियंत्रण में काम कर रही हैं या नहीं?
यह बिल क्या है?
इस एक्ट का नाम होल्डिंग फॉरेन कंपनीज अकाउंटेबल एक्ट” है जिसमें कंपनियों को यह साबित करने की आवश्यकता होगी कि वे किसी विदेशी सरकार के स्वामित्व या नियंत्रण में नहीं हैं और अमेरिकी पब्लिक अकाउंटिंग ओवरसाइट बोर्ड को अपने वित्तीय ऑडिट की समीक्षा करने की अनुमति देते हैं.
हालाँकि, यह कानून अमेरिका के बाहर के किसी भी देश की कंपनियों पर लागू होगा लेकिन इस एक्ट के माध्यम से स्पष्ट रूप से चीनी कंपनियों, जैसे अलीबाबा समूह, पिंडुओदुओ और पेट्रो चाइना को लक्षित करना है. फिलहाल कंपनियों के पास सरकार की शर्तों को पूरा करने के लिए तीन साल की अवधि है.