Home राजस्थान Rajasthan: बाजरा, बवाल और सियासत, राज्य सरकार ने केन्द्र को भेजा ही...

Rajasthan: बाजरा, बवाल और सियासत, राज्य सरकार ने केन्द्र को भेजा ही नहीं खरीद का प्रस्ताव

55
0

बाजरे की खरीद को लेकर हरियाणा और राजस्थान (Haryana and Rajasthan) में मचे बवाल के बीच किसानों को हो रहे नुकसान के लिये कांग्रेस और बीजेपी (BJP-Congress) एक दूसरे को इसके लिये जिम्मेदार बता रही हैं.

हरियाणा सरकार (Government of Haryana) द्वारा राजस्थान का बाजरा (Millet) खरीदने के इनकार करने के बाद यह मामला अब लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. बीजेपी और कांग्रेस (BJP-Congress) दोनों एक-दूसरे को किसानों के नुकसान के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. खास बात यह है कि राज्य सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बाजरा खरीद का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा ही नहीं गया. कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस बार केन्द्र सरकार को बाजरे की एमएसपी पर खरीद का प्रस्ताव नहीं भेजा गया था.

हालांकि इस मामले में एक तथ्य यह भी है कि राज्य सरकारजिन जिंसों की खरीद का प्रस्ताव केन्द्र को भेजती है उसे हू-ब-हू अनुमति केन्द्र सरकार द्वारा नहीं दी जाती है. एमएसपी पर खरीद का प्रस्ताव राज्य सरकार द्वारा केन्द्र सरकार को भेजा जाता है. केन्द्र सरकार की अनुमति मिलने के बाद ही जिंस की सरकारी खरीद की जाती है. बाजरा चूंकि पीडीएस में शामिल नहीं है और खराब भी जल्दी हो जाता है. लिहाजा इसकी एमएसपी पर खरीद में उपेक्षा की जाती है.

भावान्तर योजना में भी राजनीति ?

हरियाणा सरकार द्वारा किसानों को भावान्तर योजना के तहत बाजरे पर एमएसपी का भाव दिया जा रहा है जबकि राजस्थान सरकार ने इसकी पहल नहीं की है. भावान्तर योजना के तहत एमएसपी से कम दामों पर किसान की उपज बिकने पर अंतर राशि का भुगतान सरकार द्वारा किया जाता है. किसान नेताओं का कहना है कि भावान्तर योजना की राशि केन्द्र सरकार द्वारा दी जाती है लेकिन राज्य सरकार भी अपने स्तर पर इसे दे सकती है. किसान नेता रामपाल जाट का आरोप है कि केन्द्र सरकार इसमें भी बीजेपी और कांग्रेस शासित राज्यों के साथ भेदभाव कर रही है. हरियाणा में तो केन्द्र सरकार द्वारा भावान्तर की राशि दी जा रही है लेकिन राजस्थान में नहीं दी जा रही है. उन्होंने कहा कि हरियाणा में सरकार अपनी जेब से किसानों को बाजरे का ज्यादा भाव नहीं दे रही है बल्कि उसकी भरपाई केन्द्र सरकार द्वारा की जा रही है.

राज्य सरकार के प्रयासों में भी खामी
किसान नेता रामपाल जाट का कहना है कि केन्द्र सरकार द्वारा तो एमएसपी पर खरीद में आनाकानी की ही जाती है राज्य सरकार के स्तर पर किए जाने वाले प्रयासों में भी बड़ी खामियां नजर आती हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने ना तो बाजरे की एमएसपी पर खरीद का प्रस्ताव केन्द्र को भेजा और ना ही भावान्तर योजना के तहत किसानों की भरपाई का प्रस्ताव भेजा गया. जबकि राज्य सरकार को चाहिए था कि वह विधानसभा में संकल्प पारित कर प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भिजवाती. वहीं अखिल भारतीय किसान सभा के प्रवक्ता डॉ. संजय माधव का भी कहना है कि अन्नदाता के मुद्दों पर बीजेपी और कांग्रेस सरकारों की एक जैसी ही नीतियां नजर आती हैं. संजय माधव का कहना है कि अब तक किसानों ने अपना हक लड़ाई लड़कर ही प्राप्त किया है और पंचायत चुनाव के बाद इस मसले को लेकर भी किसान आंदोलन करेंगे.