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Rajasthan: बाजरा खरीद के बखेड़ा का कौन है जिम्मेदार, केन्द्र या राज्य सरकार, क्या है हकीकत

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बाजरा खरीद को लेकर राजस्थान और हरियाणा (Rajasthan and Haryana) में विवाद हो गया है. यह विवाद किस वजह से उपजा है यह एक बड़ा सवाल है. लेकिन इस विवाद में एक बार फिर अन्नदाता (Farmer) छला जा रहा है.

हरियाणा के सीएम मनोहरलाल खट्टर के ट्वीट के बाद बाजरे की खरीद (Purchase dispute of millet) को लेकर बखेड़ा हो गया है. बाजरे के बहाने केन्द्रीय कृषि कानूनों को लेकर भाजपा और कांग्रेस (BJP-Congress) के बीच की तकरार तेज हो गई है. इस बीच बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर हरियाणा में बाजरा महंगी दर पर और राजस्थान में सस्ती दर पर क्यों खरीदा जा रहा है ? अन्नदाता (Farmer) अपने खेत में अन्न उपजा कर पूरे देश का पेट पालता है. लेकिन राजनीति (Politics) इस अन्नदाता को भी अपने मकड़जाल में लेने से नहीं चूक रही है. हरियाणा के सीएम ने राजस्थान का बाजरा अपने राज्य में महंगी दर पर खरीद से इनकार कर दिया है.

राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के चेयरमैन बाबूलाल गुप्ता और किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट का कहना है कि हरियाणा में चूंकि बीजेपी की सरकार है. लिहाजा वहां केन्द्र सरकार की ओर से बाजरे की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की इजाजत है. लेकिन राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है लिहाजा सबसे ज्यादा उत्पादन होने के बावजूद यहां बाजरे की एमएसपी पर खरीद की इजाजत नहीं है.

एमएसपी पर खरीद केन्द्र सरकार की अनुमति से होती है

एमएसपी पर खरीद केन्द्र सरकार की अनुमति से होती है. फसल की एमएसपी पर खरीद की दर भी केन्द्र सरकार ही तय करती है. लेकिन एमएसपी पर खरीद का प्रस्ताव राज्य सरकार द्वरा भेजा जाता है. बड़ा सवाल यह भी है कि क्या राज्य सरकार द्वारा एमएसपी पर बाजरे की खरीद का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा गया था ? अगर नहीं तो फिर अन्नदाता को हो रहे नुकसान का जिम्मेदार कौन है ? मंडियों में भाव राष्ट्रीय बाजार के अनुसार तय होते हैं. अभी एमएसपी और बाजार के भाव में बड़ा अंतर होने के चलते ही यह पूरा बखेड़ा खड़ा हुआ है.

इसलिये किसान कर रहे हैं हरियाणा का रुख
ज्यादा भाव मिलने के चलते प्रदेश के किसान अपना बाजरा बेचने के लिए हरियाणा का रुख कर रहे हैं. उस पर अब हरियाणा सीएम ने आंखें तरेरी है. राजस्थान के मंडी व्यापारी और किसान नेता हरियाणा सीएम के इस रुख का पुरजोर विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि जब एमएसपी पर खरीद केन्द्र सरकार कर रही है तो राज्य सरकार इसमें क्यों आपत्ति कर रही है. उन्होंने कहा कि इस तरह की स्थिति दो साल पहले भी बनी थी तब हरियाणा के किसानों को राजस्थान आकर अपना गेहूं बेचना पड़ा था. लेकिन तब राजस्थान ने इस पर आपत्ति नहीं की थी.

प्रदेश में करीब 43 लाख 64 हजार मीट्रिक टन बाजरे का उत्पादन हुआ है
राजस्थान देश का करीब एक तिहाई बाजरा पैदा करता है. इस बार भी करीब 39 लाख 42 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में बाजरा बोया गया था. प्रदेश में करीब 43 लाख 64 हजार मीट्रिक टन बाजरे का उत्पादन हुआ है. सबसे ज्यादा बाजरा पैदा करने के बावजूद राजस्थान के किसान 1300 रुपए प्रति क्विंटल में अपना बाजरा बेच रहे हैं. जबकि हरियाणा के किसानों को उसका भाव 2150 रुपए प्रति क्विंटल मिल रहा है.