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जम्मू कश्मीर के रोशनी जमीन घोटाले में कई बड़े राजनेताओं के नाम का खुलासा, CBI कर रही हैं जांच

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जम्मू कश्मीर के इतिहास के सबसे बड़े रोशनी जमीन घोटाले में कई बड़े राजनेताओं और नौकरशाहों के नाम का खुलासा हुआ है. 25 हजार करोड़ रुपये के इस घोटाले की जांच सीबीआई कर रही है.

जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) के रोशनी जमीन घोटाले (Roshni Land Scam) में केंद्रशासित प्रदेश के कई बड़े राजनेताओं और नौकरशाहों के नाम का खुलासा हुआ है. 25 हजार करोड़ रुपये के इस घोटाले की सीबीआई जांच कर रही है. जिन राजनेताओं के नाम इस घोटाले में सामने आए हैं उनमें हसीब दराबू, केके अमला और मोहम्मद शफी पंडित शामिल हैं. इसमें जम्मू कश्मीर बैंक (Jammu Kashmir Bank) के चेयरमेन रह चुके हसीब दराबू पीडीपी के बड़े नेता माने जाते हैं और वह जम्मू कश्मीर राज्य के वित्त मंत्री भी रह चुके हैं. वहीं केके अमला कांग्रेस के बड़े नेता है और श्रीनगर में उनका काफी नामचीन होटल भी है. मो. शफी पंडित मुख्य सचिव रैंक के ऑफिसर रह चुके हैं इन्होंने भी अपने और अपने परिवारों केनाम पर काफी जमीन आवंटित कराई.

बता दें सीबीआई ने सरकारी भूमि के बड़े हिस्से को हड़पने के लिए लोक सेवकों और अन्य की कथित भूमिका की जांच करने के जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद 25,000 करोड़ रुपये के “रोशनी” भूमि घोटाले के संबंध में अब तक तीन अलग-अलग मामले दर्ज किए हैं. इस महीने की शुरुआत में, जम्मू और कश्मीर राज्य भूमि (व्यवसायियों के स्वामित्व का मामला) अधिनियम, जिसे रोशनी अधिनियम भी कहा जाता है, को अशक्त और शून्य घोषित किया गया था, क्योंकि अदालत ने इसे असंवैधानिक और अनिश्चित करार दिया था.

एसीबी से सीबीआई को सौंपी गई है जांच
उच्च न्यायालय ने 9 अक्टूबर को इस मामले की जांच एसीबी से सीबीआई को ट्रांसफर कर दी थी. जम्मू के एक व्यवसायी बंसीलाल गुप्ता को एक प्राथमिकी में एक आरोपी के रूप में नामित किया गया है. जम्मू विकास प्राधिकरण के अधिकारी भी जांच के दायरे में हैं.
ये हैं तीनों मामले
इस घोटाले से जुड़े पहले मामले में यह आरोप है कि जम्मू में राजस्व विभाग के अधिकारियों ने अवैध रूप से कब्जा करने वालों पर रोशनी अधिनियम और संबंधित नियमों की अनदेखी करके अनुचित लाभ उठाया, कुछ अवांछनीय व्यक्तियों को मालिकाना हक दिया और इसलिए सरकारी खजाने को भारी मौद्रिक नुकसान हुआ.

दूसरे मामले में, सांबा के अज्ञात राजस्व अधिकारियों पर इसी तरह का आरोप लगाया गया है. सीबीआई ने कहा कि “यह आगे आरोप लगाया गया था कि कई मामलों में, राज्य की भूमि पर मालिकाना हक उन व्यक्तियों के पक्ष में दिया गया था जो कि राजस्व रिकॉर्ड में अपने संबंधित नामों में कब्जा नहीं कर रहे थे.”

तीसरे मामले में अज्ञात सरकारी अधिकारियों के साथ गुप्ता का नाम साजिश रचने में सामने आया है, जिन्होंने पांच कनाल और दो मार्लस को मापने वाले एक भूमि पार्सल के मालिकाना हक प्राप्त किया.

हाईकोर्ट ने पाया कि सरकारी अधिकारियों के कथित अवैध काम से, अधिनियम के तहत लगभग 3,48,200 कनाल भूमि के वास्तविक हस्तांतरण से, 3,40,100 से अधिक कनाल के प्रमुख हिस्से को कृषि भूमि के रूप में नि: शुल्क हस्तांतरित किया गया था.