डोनाल्ड ट्रंप (American President Donald Trump) सरकार हार के बाद लगातार वरिष्ठ अधिकारियों को उनके पद से हटा रही है और मौजूदा राष्ट्रपति के वफादारों को इन पदों पर नियुक्त किए जाने का खेल चल रहा है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (American President Donald Trump) चुनाव में अपनी हार को अभी तक भुला नहीं पाए हैं. ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव (President Election) में धांधली होने की बात कही है. डेमोक्रेटिक नेता जो बाइडन (Joe Biden) के सामने ट्रंप अपनी हार को भी स्वीकार नहीं कर रहे हैं. अमेरिका के लोकतंत्र के इतिहास में यह पहली बार है जब किसी राष्ट्रपति (President) ने इस तरह का व्यवहार किया है. ट्रंप ऐसा कर अमेरिका की राजनीति में बखेड़ा खड़ा करने की जुगत में हैं. वह देश में सत्ता कब्जाने की फिराक में हैं. उनकी तरफ से ट्वीट में बाइडन की जीत पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं. क्या ट्रंप वाकई में अमेरिका में तख्तापलट कर दोबारा सत्ता हासिल कर लेंगे या फिर ये सब मात्र एक दिखावाबनकर रह जाएगा.
अधिकारियों को हटाया जा रहा
ट्रंप सरकार हार के बाद लगातार वरिष्ठ अधिकारियों को उनके पद से हटा रही है और मौजूदा राष्ट्रपति के वफादारों को इन पदों पर नियुक्त किए जाने का खेल चल रहा है. सोमवार को ही ट्रंप प्रशासन ने रक्षा मंत्री मार्क एस्पर को उनके पद से हटाया है. ट्रम्प के इस फैसले से वरिष्ठ अधिकारियों में भारी गुस्सा है. क्योंकि पिछले 24 में तीन बड़े अधिकारियों को उनके पद से मुक्त कर दिया गया है. वहीं, न्याय विभाग के मुख्य चुनाव अपराध अधिकारी रिचर्ड पिल्जर ने भी विरोध में इस्तीफा दे दिया. पेंटागन के पूर्व वरिष्ठ वकील रयान गुडमैन और एंड्रयू वीसमैन ने वॉशिंगटन पोस्ट में लिखा है कि चुनाव परिणामों को पलटने की कोशिश की जा रही है.
तख्तापलट की कोशिश में ट्रंप
ट्रंप प्रशासन तख्तापलट की कोशिश में जुटा हुआ है. इस बात की पुष्टि इससे भी होती है कि इलेक्टोरल कॉलेज में कुछ ऐसे तत्वों की उपज हो रही है जिससे तख्तापलट चुनौती उभरकर सामने आ रही है. इस पर मीडिया में भी खूब चर्चा है, लेकिन धरातल पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा है. कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में कानून के प्रोफेसर का मानना है कि ट्रम्प के तख्तापलट की बात देश में बड़े पैमाने पर अशांति पैदा करेगी. दूसरी तरफ स्थिति और भी भयंकर हो जाती है, क्योंकि ट्रंप से सहमति जताते हुए विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा था कि सत्ता का हस्तांतरण शांतिपूर्ण तरीके से किया जाएगा और ट्रंप प्रशासन अपना दूसरा कार्यकाल शुरू करेगा.
इतिहास में पहली बार हो रहा ऐसा
अमेरिका में अब तक सत्ता का हस्तांतरण बहुत ही सहजता से होता आया है. अमेरिका के 225 सालों के लोकतंत्र में एक बार भी कोई समस्या नहीं आई है. चुनाव हारने वाला अमेरिकी राष्ट्रपति कोई बड़ा फैसला तब तक नहीं करता जब तक नया राष्ट्रपति खुद सत्ता को अपने हाथ में नहीं ले लेता है. अगर कुछ ऐसा करने की जरूरत पड़ भी गई तो वो नए राष्ट्रपति से सलाह मश्विरा जरूर करता रहा है लेकिन ट्रंप का नजरिया इस विचारधार का उलट है और उनका व्यवहार भी सामान्य नहीं है.
कम नहीं ट्रंप के प्रशंसक
वैकल्पिक रूप से देखा जाए तो ट्रंप दूसरे स्थान पर खड़े होते हैं. क्योंकि चुनाव में उन्होंने 72 मिलियन मत हासिल किए हैं. यानि उनके प्रशंसकों का एक बड़ा जत्था है. पोलिटिको/ मॉर्निंग कंसल्ट पोल के अनुसार, 70 फीसदी रिपब्लिकन को लगता है कि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं थे जो ट्रंप की शक्ति की गवाही पेश करता है. राजनीति से इतर ट्रंप के कुछ व्यक्तिगत लक्ष्य भी हैं जैसे उनकी आर्थिक स्थिति और भविष्य में करियर. ट्रंप पर चुनावी अभियान में खर्च किए पैसों का भी बोझ उतारने की कोशिश की जा रही है. इसके लिए पॉलिटिकल एक्शन कमेटी उन्हें भविष्य में मदद करती भी दिखेगी.