डिजिटल लेन-देन (Digital Transaction) के बढ़ते चलन से बैंक अकाउंट (Bank Account) से धोखाधड़ी (Fraud) की घटनाएं आम हो चुकी हैं. धोखाधड़ी के जोखिमों की निगरानी के लिए अपने सिस्टम को भी लगातार अपग्रेड करने की जरूरत है. बात करेंगे उन उपायों की जिससे बैंक अपने इंटेलिजेंस नेटवर्क के जरिए किसी भी धोखाधड़ी से बच सके.
डिजिटल लेन-देन (Digital Transaction) के बढ़ते चलन से बैंक अकाउंट (Bank Account) से धोखाधड़ी (Fraud) की घटनाएं आम हो चुकी हैं. अगस्त में ही 1.6 बिलियन (160 करोड़) लोगों ने पैसों के लेन-देन के लिए यूपीआई प्लेटफॉर्म (UPI Platform) का इस्तेमाल किया. हालांकि इससे सरकार का डिजिटल इंडिया (Digital India) का सपना साकार होता दिख रहा है, लेकिन इससे बढ़ते अपराधों के कारण बैंकिंग सेक्टर की नींद भी उड़ रही है. इधर, बैंक कम मूल्य वाले डिजिटल भुगतानों की बढ़ती मात्रा की निगरानी तो कर रहे हैं लेकिन बढ़ते लेनदेन के भार के साथ धोखाधड़ी के जोखिमों की निगरानी के लिए अपने सिस्टम को भी लगातार अपग्रेड करने की जरूरत है. बात करेंगे उन उपायों की जिससेबैंक अपने इंटेलिजेंस नेटवर्क के जरिए किसी भी धोखाधड़ी से बच सके.
बेहतर इंटेलिजेंस नेटवर्क का निर्माण करें
बैंक धोखधड़ी से बचने के लिए बैंक पहले अपने परंपरागत हथकंडों का त्याग करें. बैंक को जरूरत है कि वह इंटेलिजेंस नेटवर्क से सहयोग स्थापित करें. बेहतर सहयोग के माध्यम से, बैंक एक समुदाय का गठन कर सकते हैं जहां उभरते जोखिमों पर वास्तविक समय की जानकारी रखी जा सके और केंद्रीय अवसंरचना (CI) के मालिकों सहित अन्य सदस्यों के बीच जोखिम मुक्त रूप से साझा किया जाए सके. बता दें कि नेटवर्क इंटेलिजेंस बैंकिंग पारिस्थितिकी तंत्र के धोखाधड़ी प्रबंधन ढांचे को मजबूत करने में सक्षम है. बैंकों के नेटवर्क के साथ धोखाधड़ी की जानकारी साझा करने से जल्द से जल्द इसका पता लगाया जा सकेगा और साथ ही ग्राहकों को भी सचेत किया जा सकेगा.
भारत की जमीन पर वास्तविकता
भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकिंग धोखाधड़ी के मामले में दो साल पहले एक नियम लागू किया था कि बैंक संबंधित धोखाधड़ी पर ग्राहकों को बैंकों को तीन के अंदर सूचित करना होगा. आरबीआई की वास्तविक समय के आधार पर डिजिटल भुगतान धोखाधड़ी की निगरानी के लिए एक केंद्रीय भुगतान फ्रॉड रजिस्ट्री भी है. हाल ही में एसीआई और यूगोव (YouGov) द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग आधे से ज्यादा भारतीय उपभोक्ता कोरोना वायरस संकट के बीच डिजिटल लेनदेन के समय धोखाधड़ी को लेकर अधिक चिंतित थे. सबसे अहम बात, जब एक धोखाधड़ी लेनदेन होता है तो खाताधारक सबसे पहले बैंक को ही खाता ब्लॉक करने के लिए कॉल करते हैं. इसका अर्थ है कि उपभोक्ता के लिए बैंक सुरक्षा की दृष्टि से पहला संस्थान है.