उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (Uttar Pradesh Electricity Regulatory Commission) ने आदेश दिया है कि प्रदेश में वर्तमान टैरिफ आदेश ही लागू रहेगा. आयोग ने बिजली कम्पनियों के स्लैब परिवर्तन प्रस्ताव को खारिज कर दिया है.
उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (Uttar Pradesh Electricity Regulatory Commission) ने प्रदेश में बिजली दर (Power Tariff) को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. आयोग ने साफ कर दिया है कि प्रदेश में बिजली दरों में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की जाएगी. वर्तमान टैरिफ आदेश ही लागू रहेगा. आयोग ने कम्पनियों के स्लैब परिवर्तन प्रस्ताव को खारिज कर दिया है.
दरअसल यूपी पावर कार्पोरेशन (UPPCL) ने की तरफ से गुपचुप ढंग से नियामक आयोग को प्रस्ताव भेजा गया था. इसमें बिजली दरों के 80 स्लैब को 50 करने का प्रस्ताव था. बीपीएल को छोड़ शहरी घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 3 स्लैब बनाने का
प्रस्ताव था. कमर्शियल, लघु एवं मध्यम उद्योग के लिए 2 स्लैब प्रस्तावित थे. बिजली दरों के स्लैब में बदलाव से 3 से 4% बिजली महंगी हो जाती.
दरअसल प्रदेश की बिजली कम्पनियों द्वारा वर्ष 2020-21 के लिए दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्कता टैरिफ प्रस्ताव सहित स्लैब परिवर्तन और वर्ष 2018-19 के लिए दाखिल ट्रू-अप पर आज विद्युत नियामक आयोग चेयरमैन आर पी सिंह और सदस्य केके शर्मा व वीके श्रीवास्तव की पूर्ण पीठ ने अपना फैसला सुनाया. इसके तहत इस वर्ष बिजली दरों में कोई भी बदलाव नहीं किया जायेगा. वर्तमान लागू टैरिफ ही आगे लागू रहेगी. आयोग ने बिजली कम्पनियों के स्लैब परिवर्तन को पूरी तरह अस्वीकार करते हुए खारिज कर दिया.
बिजली दरों में कमी के प्रस्ताव पर बाद में फैसला
इसके अलावा उपभोक्ता परिषद द्वारा दाखिल बिजली दरों में कमी के प्रस्ताव पर आयोग ने अपने आदेश में यह फैसला सुरक्षित रखा है. साथ ही कहा है कि उपभोक्ताओं का बिजली कम्पनियों पर निकल रहे 13337 करोड़ पर कम्पनियों को जब तक इसका लाभ उपभोक्ताओं को न दिया जाए तब तक उस पर कैरिंग कास्ट यानि 13 से 14 प्रतिशत ब्याज भी जोडा जायेगा. और इसका लाभ आगे उपभोक्ताओं को मिलेगा.
वर्ष 2020-21 व ट्रू-अप 2018-19 के लिए बिजली कम्पनियों द्वारा निकाली गयी भारी भरकम धनराशि को समाप्त कर दिया गया है और बिजली कम्पनियों के ट्रू-अप 71525 करोड में केवल 60404 करोड ही अनुमोदित किया गया है, दूसरी ओर वर्ष 2020-21 के लिए कुल दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता 70792 करोड की जगह केवल 65175 करोड ही अनुमोदित किया गया है.
बिजली कम्पनियों द्वारा मांगी गयी वितरण हानियां 17.90 प्रतिशत को खारिज करते हुये मात्र 11.54 प्रतिशत अनुमोदित किया गया है. इस प्रकार बिजली कम्पनियों पर वर्ष 2020-21 में फिर से उपभोक्ताओं का लगभग 800 करोड़ रुपये से ज्यादा निकल रहा है.
स्मार्टमीटर पर पूरा खर्च उपभोक्ता नहीं उठाएंगे: आयोग
आयोग ने अपने आदेश में ये भी कहा है कि स्मार्ट मीटर पर आने वाला सभी खर्च उपभोक्ताओं पर नहीं पास होगा. दूसरी ओर उपभोक्ता परिषद की मांग को मानते हुए स्मार्ट मीटर के मामले में 5 किलोवाट तक आरसीडीसी फीस मात्र रूपये 50 प्रति जाब व 5 किलोवाट के ऊपर रूपये 100 प्रति जाब अनुमोदित किया गया है, जो अभी तक बिजली कम्पनियां आरसीडीसी फीस रूपये 600 वसूल कर रही थीं. वहीं प्रीपेड उपभोक्तओं अब आरसीडीसी फीस नहीं वसूल होगी.
उपभोक्ता परिषद की लंबी लड़ाई काम आई: अवधेश वर्मा
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा परिषद की लम्बी लडाई काम आई. आखिरकार विद्युत नियामक आयोग ने स्लैब परिवर्तन के प्रस्ताव को खारिज कर यह सिद्ध कर दिया कि उपभोक्ता परिषद की मांग सही थी. वहीं दूसरी ओर बिजली दरों में कमी किए जाने के मामले में आगे निर्णय लिया जायेगा, इस पर सहमति भी उपभोक्ता परिषद के लिए बडी जीत है क्योंकि उपभोक्ताओं की बची धनराशि जब तक उपभोक्ताओं को नहीं मिल जाएगी, उस पर कैरिंग कास्ट यानि ब्याज भी लगभग 14 प्रतिशत जुडेगा.