डीजल-खाद की महंगाई के बाद अब किसानों पर पड़ी आलू के महंगे बीज की मार, अगले साल भी पड़ सकती है महंगाई की मार.
किसानों की आय दोगुनी (Doubling Farmers Income) करने का सपना दिखाते-दिखाते सरकार ने आलू के बीज (Potato seed rate) का सरकारी रेट ही दोगुना कर दिया है. पहले से ही डीजल (Diesel) और खाद की महंगाई झेल रहे किसानों पर अब आलू के महंगे बीज की मार पड़ी है. सरकार खुद इस साल 35 रुपये किलो के रेट पर बीज बेच रही है. जबकि पिछले साल इसका दाम 12 से 18 रुपये किलो तक ही था. अब समझ में यह नहीं आ रहा है कि आलू के बीज में क्या हीरा जड़ दिया गया है कि उसका रेट कोल्ड स्टोर में रखे-रखे दोगुना हो गया? क्या सरकार मुनाफाखोर व्यापारियों वाले माइंडसेट से किसानों की इनकम दोगुनी करने का सपना साकार कर पाएगी?
किसानों का कहना है कि जब सरकार ही दोगुना रेट पर किसानों को बीज बेच रही है तो फिर निजी कंपनियां एक कदम आगे बढ़कर मुनाफा क्यों नहीं कमाएंगी? काफी किसान निजी क्षेत्र से 60 रुपये किलो तक बीज खरीदकर लगा बुआई कर रहे हैं. आलू उत्पादक किसान समिति आगरा मंडल के महासचिव आमिर चौधरी कहते हैं कि इसके बीज का रेट क्वालिटी पर तय होता है. सरकार 18 रुपये वाला बीज 35 रुपये के रेट पर बेच रही है.
प्रति एकड़ बीज की लागत हुई 1.4 लाख
चौधरी कहते हैं, चंबल फर्टिलाइजर के आलू का बीज पिछले साल हमने 30 रुपये किलो की दर पर खरीदा था. इस साल उसने 56 रुपये का रेट रखा है. एक एकड़ में 22 से 25 क्विंटल बीज लगता है. पिछले साल प्रति एकड़ 75,000 रुपये का बीज लगा था जो इस साल बढ़कर 1 लाख 40 हजार रुपये हो गया है. यानी 65000 रुपये प्रति एकड़ लागत बढ़ गई है. ऐसे में अगले साल भी आलू का रेट कम नहीं होगा क्योंकि महंगाई की वजह से इस साल बुआई कम होने का अनुमान है.
चौधरी कहते हैं कि सिर्फ बीज ही नहीं बल्कि डीजल और खाद (Fertilizer Prices) का रेट भी काफी बढ़ गया है. पिछले साल के मुकाबले 18-20 रुपये प्रति लीटर डीजल का रेट बढ़ गया है. खाद और कीटनाशकों के दाम में भी आग लगी हुई है. ऐसे में आलू पैदा करने की लागत प्रति किलो 12 रुपये से बढ़कर इस बार 16 रुपये किलो तक पहुंच जाएगी. वो भी तब जब कोई प्राकृतिक आपदा न हो. चौधरी बताते हैं कि वो खुद 40 एकड़ में आलू पैदा करते हैं, जिसके लिए करीब 1000 क्विंटल बीज लगेगा. अब समझ लीजिए कि कितना बोझ बढ़ गया है.
आलू के बीज पर मिले 50 फीसदी सब्सिडी
किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष चौधरी पुष्पेंद्र सिंह ने सरकार से आलू का बीज 50 फीसदी सब्सिडी पर उपलब्ध करवाने की मांग की है. उनका कहना है कि पिछले साल के मुकाबले डीजल, खाद, बिजली और बुआई के बढ़े रेट की मार से किसान पहले ही काफी परेशान है. ऐसे में उसे आलू उत्पादक किसानों की मदद के लिए हाथ बढ़ाना चाहिए. इसके साथ ही कम से कम 20 रुपये किलो की दर पर इसकी एमएसपी (MSP) अनिवार्य की जाए. वरना वो दिन दूर नहीं जब हमें सब्जियों के राजा आलू को आयात करना पड़ेगा. अभी तो अपनी घरेलू डिमांड का पूरा आलू हम खुद पैदा कर रहे हैं.