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MSME को दी गई क्रेडिट गारंटी योजना में कहां हुई चूक, विशेषज्ञों ने रखी राय

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने मई (2020) में योग्य एमएसएमई (MSMEs) और इच्छुक मुद्रा कर्जदारों को तीन लाख करोड़ रुपये तक की अतिरिक्त फंडिंग के लिए ‘आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना’ (Emergency Credit Line Guarantee Scheme) को मंजूरी दी थी. योजना में 1.93 लाख करोड़ रुपये तक के ऋणों को मंजूरी दी गई है, जबकि 1.45 लाख करोड़ रुपये का वितरण किया गया है. योजना में वितरण में चूक को जानने के लिए विशेषज्ञों से इसके बारे में जानने की कोशिश की गई.

एसआईडीबीआई (SIDBI) में डीएमडी सत्य वेंकट राव ने कहा, तीन महीने के लॉकडाउन के दौरान एमएसएमई (MSMEs) ने व्यवसायिक तौर पर लोन लिया, ऑर्डर प्रवाह होने की स्थिति में उन्होंने लोन का लाभ भी उठाया, इससे समझ में आता है कि बैंक के पास ऋण की गारंटी है, उधारकर्ता की नहीं और वह अपने लाभ उठाने की संभावना केवल तभी बढ़ा सकता है जब वह व्यवसाय के बारे में सुनिश्चित हो.

एसएमई चैम्बर ऑफ कॉमर्स के संस्थापक अध्यक्ष चंद्रकांत सालुंखे ने तर्क दिया कि देश में 7 करोड़ एसएमई इकाइयां हैं. लेकिन केवल 45 लाख को ही बैंक लोन मिला. उन्होंने आगे कहा कि सरकार द्वारा दिए गए लक्ष्यों को पूरा करने में बैंक पीछे हट रहे हैं. वहीं, बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य महाप्रबंधक राम जास यादव ने सालुंखे के तर्क पर असहमती जताते हुए कहा इस योजना को लोकप्रिय बनाने के लिए बैंकों ने वेबिनायर आयोजित किए और 87 प्रतिशत धनराशि को मंजूरी भी दी गई है. उन्होंने कहा कि इस सरकारी योजना से 50 लाख इकाइयां लाभान्वित भी हुई हैं.

केयर रेटिंग के निदेशक संजय अग्रवाल ने अपना तर्क रखते हुए कहा कि योजना का शुरुआती तौर पर तीन लाख करोड़ का लक्ष्य बहुत बड़ा है. उन्होंने कहा कि मार्च तक बैंकों को एमएसएमई के लिए 11 लाख करोड़ रुपये पहुंचाने थे और एनबीएफसी को भी दो लाख करोड़ रुपये का लेखा देना था. सरकार ने संभवतः एमएसएमई के कुल ऋण पर 15 लाख करोड़ रुपये का अनुमान लगाया और 20 प्रतिशत वृद्धिशील ऋण या 3 लाख करोड़ रुपये की गारंटी देने की पेशकश की थी. अब केवल सभी इकाइयों के उपलब्ध पूरे 20 प्रतिशत वृद्धिशील ऋण को लेने पर 3 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य पूरा हो जाएगा.

अग्रवाल ने आगे तर्क दिया कि पिछले साल जबकि समग्र ऋण वृद्धि 10 प्रतिशत से अधिक थी जबकि एसएमई ऋण में लगभग 7 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई. लेकिन इस साल, कुल ऋण वृद्धि 5.5 प्रतिशत है और एसएमई ऋण वृद्धि भी उतनी ही है. उन्होंने कहा कि एमएसएमई लोन ग्रोथ को सिस्टम के साथ बनाए रखना स्कीम की सफलता का संकेत है. यह संदेह पैदा हो गया है कि बैंकर अभी भी जोखिम में हैं या अपनी ऋण पुस्तिका की गुणवत्ता में सुधार के लिए इस योजना का उपयोग कर रहे हैं. वेंकट राव जोखिम उठाने के तर्क से असहमत हैं. राव ने पूछा, अगर वे जोखिम में हैं तो बैंक 2 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण क्यों मंजूर करेंगे? इसके अलावा, इस योजना ने सितंबर में तेजी पकड़ी है और अर्थव्यवस्था के उठने पर अभी भी और अधिक ऋण की संभावना देखी जा सकती है.

उन्होंने आगे कहा, सालुंके का तर्क 6 करोड़ से अधिक के पंजीकृत एमएसएमई की संख्या और उनके बैंक खातों और केवल 45 लाख सिबिल स्कोर के बीच विसंगति है. यह स्पष्ट है कि राष्ट्रीयकरण और जन-धन योजना के बावजूद औपचारिक प्रणाली अंतिम लक्ष्य तक नहीं पहुंची है. यह संभव है कि एमएफआई इस अंतर को कम कर रहे है.

क्या है ईसीएलजी योजना ?

इस योजना का उद्देश्य आर्थिक परेशानी झेल रही एमएसएमई को पूरी गारंटी युक्त आपातकालीन क्रेडिट लाइन के रुप में तीन लाख करोड़ रुपये तक की अतिरिक्त फंडिंग उपलब्ध कराते हुए उन्हें राहत दिलाना है. बता दें कि ईसीएलजीएस ((Emergency Credit Line Guarantee Scheme) को कोविड-19 और इसके बाद लॉकडाउन की वजह से बनी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए मंजूरी दी गई. योजना के तहत, राष्ट्रीय क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (एनसीजीटीसी) द्वारा योग्य एमएसएमई और इच्छुक कर्जदारों को गारंटी युक्त आपातकालीन क्रेडिट लाइन (जीईसीएल) सुविधा के रुप में तीन लाख रुपये तक की अतिरिक्त फंडिंग के लिए 100 फीसदी गारंटी कवरेज उपलब्ध कराई जाने का लक्ष्य है.

कुछ निश्चित कारणों का पता लगाने के लिए सरकार लगातार अधिक इकाइयों को कवर करने के लिए योजना के रूप में विस्तार कर रही है. प्रारंभ में, यह योजना 25 करोड़ रुपये तक के बकाया ऋण वाली इकाइयों पर लागू थी, अब 50 करोड़ रुपये तक की बकाया इकाइयों को शामिल करने के लिए इसका विस्तार किया गया है. इसमें एसएमई उद्यमियों द्वारा लिए गए व्यक्तिगत ऋणों को शामिल किया गया है. इसके अलावा, 250 करोड़ रुपये के कारोबार वाली इकाइयों को शामिल करने के लिए MSME की परिभाषा का भी विस्तार किया गया है जो पहले 100 करोड़ रुपये थी.