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भारत ने कहा, चीन के साथ सैन्य वार्ता का किसी बाहरी मुद्दे से कोई संबंध नहीं

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भारत की ओर से ये टिप्पणी हाल में संपन्न भारत-अमेरिका ‘टू प्लस टू’ वार्ता की पृष्ठभूमि के बाद आई है. बता दें कि दोनों देशों के बीच हुई वार्ता में पूर्वी लद्दाख और हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की सैन्य आक्रामकता पर चर्चा हुई.

भारत ने चीन के साथ चले रहे विवाद को सुलझाने के लिए हो रही सैन्य वार्ता पर बयान जारी करते हुए कहा है कि सैन्य वार्ता का किसी भी बाहरी मुद्दे से कोई संबंध नहीं है. भारत की ओर से ये टिप्पणी हाल में संपन्न भारत-अमेरिका ‘टू प्लस टू’ वार्ता की पृष्ठभूमि के बाद आई है. बता दें कि दोनों देशों के बीच हुई वार्ता में पूर्वी लद्दाख और हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की सैन्य आक्रामकता पर चर्चा हुई और कई महत्वपूर्ण रणनीतिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने चीन के साथ कोर कमांडर स्तर की वार्ता के बारे में बताते हुए कहा कि दोनों पक्ष सैन्य और राजनयिक माध्यमों से बातचीत जारी रखने और

अपने-अपने सैनिकों को वापस भेजने पर सहमत हो गए हैं. अनुराग श्रीवास्तव ने बताया, ‘बातचीत के अगले दौर के संबंध में जो भी जानकारी हमें मिलेगी हम अवगत कराते रहेंगे.’ उन्होंने कहा कि हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं ​कि दोनों देशों के बीच हो रही सैन्य वार्ता में किसी बाहरी मुद्दे का कोई संबंध नहीं है.

इस मौके पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से चीन के साथ सीमा विवाद से जुड़े सवालों के साथ ये प्रश्न भी किया गया कि क्या चीन ने भारत और अमेरिका के बीच मूलभूत विनिमय और सहयोग करार (बीईसीए) को लेकर सैन्य वार्ता के अगले दौर में देरी की है. इस पर विदेश मंत्रालय की ओर से बताया गया कि हमारी बैठक में मुख्य बिंदु हिंद प्रशांत क्षेत्र पर निर्भर था

विदेश मंत्रालय की ओर से बताया गया कि हमारी कोशिश है कि इस क्षेत्र में सभी देशों के लिए समृद्धि, स्थिरता और शांति के महत्व को बढ़ावा दिया जाए. उन्होंने कहा कि ये तभी संभव है जब नियमों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था कायम रहे, अंतरराष्ट्रीय समुद्रों में नौवहन की आजादी सुनिश्चित हो. इसके साथ ही सभी राज्यों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान हो.

दोनों पक्षों के बीच गहन विचार-विमर्श हुआ
श्रीवास्तव ने 12 अक्टूबर को भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच हुई सैन्य वार्ता के अंतिम दौर का जिक्र करते हुए कहा कि इससे दोनों पक्षों के बीच गहन विचार-विमर्श हुआ और एक-दूसरे के रुख को लेकर समझ बढ़ी. उन्होंने कहा, ‘दोनों पक्ष सैन्य और राजनयिक माध्यमों से बातचीत जारी रखने और जितनी जल्दी हो सके, सैनिकों की वापसी के लिए पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान पर पहुंचने के लिए सहमत हुए थे.’