कोरोना संकट के बीच ज्यादातर लोग बचत (Savings) और अच्छा रिटर्न देने वाले इक्वीपमेंट्स में निवेश (Investment) कर रहे हैं. काफी लोग हेल्थ और टर्म इंश्योरेंस (Health & Term Insurance) पॉलिसी भी खरीद रहे हैं. इस बीच प्रुडेंशियल फाइनेंशियल इंक (Prudential Financial Inc) की सहायक कंपनी पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड (PGIM India Mutual Fund) ने लोगों के रिटायरमेंट को लेकर नजरिये पर 15 शहरों में सर्वे कराया है. सर्वे में पता चला है कि बचत को लेकर भारतीयों का रुख बदल चुका है. सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, इस समय महज 49 फीसदी लोग ही रिटायरमेंट के बाद की आर्थिक सुरक्षा के लिए प्लानिंग (Financial Planning) कर रहे हैं.
89% लोगों ने नहीं की कोई प्लानिंग, ना ही आय का कोई दूसरा स्रोत है
सर्वे रिपोट के मुताबिक होम लोन, अनसिक्योर्ड लोन और क्रेडिट कार्ड की बढ़ती संख्या से साफ है कि भारतीय अब बचत और निवेश कम कर रहे हैं. वे बचत या फ्यूचर प्लानिंग के बजाय मौजूदा खर्चों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. वे अपनी इनकम का करीब 59 फीसदी हिस्सा मौजूदा खर्चों को पूरा करने में लगा रहे हैं. ऐसे लोगों की तादाद 89 फीसदी, जिन्होंने रिटायरमेंट को लेकर कोई तैयारी नहीं की है. यही नहीं, उनके पास आय का कोई वैकल्पिक स्रोत भी नहीं है. वहीं, यही भी पता चला है कि हर 5 भारतीय में सिर्फ 1 ही रिटायरमेंट प्लानिंग करते समय भविष्य में महंगाई के स्तर का ध्यान रखता है
89% लोगों ने नहीं की कोई प्लानिंग, ना ही आय का कोई दूसरा स्रोत है
सर्वे रिपोट के मुताबिक होम लोन, अनसिक्योर्ड लोन और क्रेडिट कार्ड की बढ़ती संख्या से साफ है कि भारतीय अब बचत और निवेश कम कर रहे हैं. वे बचत या फ्यूचर प्लानिंग के बजाय मौजूदा खर्चों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. वे अपनी इनकम का करीब 59 फीसदी हिस्सा मौजूदा खर्चों को पूरा करने में लगा रहे हैं. ऐसे लोगों की तादाद 89 फीसदी, जिन्होंने रिटायरमेंट को लेकर कोई तैयारी नहीं की है. यही नहीं, उनके पास आय का कोई वैकल्पिक स्रोत भी नहीं है. वहीं, यही भी पता चला है कि हर 5 भारतीय में सिर्फ 1 ही रिटायरमेंट प्लानिंग करते समय भविष्य में महंगाई के स्तर का ध्यान रखता है
ज्यादातर भारतीय रखते हैं 50 लाख रुपये का फंड बनाने का लक्ष्य
रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रिटायरमेंट की प्लानिंग के वक्त अपने जीवन की घटनाओं का तो ध्यान रखते हैं, लेकिन बाहरी घटनाओं को नजरअंदाज कर देते हैं. औसतन शहरी भारतीय करीब 50 लाख रुपये का फंड तैयार करने का लक्ष्य तय करते हैं. सर्वे में शामिल लोगों की औसत सालाना आय करीब 5.72 लाख रुपये और औसत आयु 44 वर्ष थी. इनका मानना है कि उन्हें रिटायरमेंट के लिए करीब 50 लाख रुपये के फंड की जरूरत होगी यानी उनकी मौजूदा सालाना आमदनी का करीब 9 गुना पैसे की जरूरत होगी. ऐसे में साफ है कि देश की फाइनेंस सर्विस कंपनियां रिटायरमेंट प्लानिंग पर फोकस करें.
46% कंपनियों ने वर्कर्स को रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए किया प्रोत्साहित
सर्वे के मुताबिक, अगर हालात बहुत खराब ना हो तो करीब एक-तिहाई लोगों के पास आय का कोई न कोई वैकल्पिक स्रोत होता है. रिटायरमेंट की प्लानिंग करने वाले लोगों से 51 फीसदी के पास कोई न कोई वैकल्पिक आय होती है. लोग रिटायरमेंट से ज्यादा प्राथमिकता बच्चों व पति या पत्नी की आय सुरक्षा और फिटनेस व लाइफस्टाइल को देते हैं. निजी क्षेत्र के केवल 46 फीसदी कर्मचारियों ने माना कि उनकी कंपनियों ने उन्हें रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए प्रोत्साहित किया है. वहीं, 65 फीसदी भारतीय मानते हैं कि नियोक्ता अगर रिटायरमेंट प्लानिंग की सलाह दे तो संस्थान के प्रति उनकी लॉयलिटी बढ़ेगी.