अलग सरना धर्म कोड की मांग को लेकर आदिवासी समाज मंगलवार को राजधानी रांची में सड़कों पर उतरा। इस दौरान आदिवासी समाज के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को ज्ञापन भी सौंपा। इससे पहले अल्बर्ट एक्का चौक पर मानव श्रृंखला बनाई गई तो वहीं पिस्का मोड़ से लेकर मोरहाबादी मैदान तक रैली निकाली गई। मोरहाबादी मैदान में सरना धर्म गुरु बंधन तिग्गा, शिक्षाविद डॉक्टर करमा उरांव, आदिवासी सेना अध्यक्ष के शिवा कच्छप ने कहा कि अब जनगणना में अधिक समय नहीं रह गया है। अगर अलग धर्म कोड नहीं तो वोट नहीं का एलान करते हुए आदिवासी नेताओं ने कहा कि शीत सत्र के दौरान राज्य में विधानसभा घेराव और दिल्ली में संसद मार्च किया जाएगा।
बता दें कि आदिवासी समाज ने 2021 के जनगणना फॉर्म में अलग सरना धर्म कोड शामिल करने की मांग को लेकर रैली-प्रदर्शन किया। राजधानी में सरना धर्मगुरु बंधन तिग्गा व डॉक्टर करमा उरांव के नेतृत्व में हरमू मैदान और आदिवासी सेना के अध्यक्ष शिवा कच्छप के नेतृत्व में पिस्का मोड़ से रैली निकाली गई। रैली रातू रोड, हरमू रोड व कचहरी चौक होती हुई मोरहाबादी मैदान पहुंची और सभा में तब्दील हो गई।
मेन रोड से राजभवन तक बनाई मानव शृंखला
राजधानी में सुबह 10 से दोपहर 1 बजे तक मेन रोड सर्जना चौक से राजभवन तक मानव शृंखला बनाई गई। उधर, अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद की अध्यक्ष गीताश्री उरांव के नेतृत्व में मानव श्रृंखला बनाई गई। दोपहर ढाई बजे गीताश्री उरांव के नेतृत्व में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से मिलकर ज्ञापन सौंपा गया।
आंदोलन को इन संगठनों का समर्थन
रैली और मानव श्रृंखला को आदिवासी जनपरिषद, संथाल परगना के ऑल इंडिया मांझी परगना महल के दिशोम पुराणिक बाबा रामचंद्र मुर्मू, आदिवासी सेंगल अभियान, राजी पड़हा सरना समिति, आदिवासी छात्र संघ व केंद्रीय सरना समिति सहित अन्य ने समर्थन दिया है। राष्ट्रीय आदिवासी धर्म समन्वय समिति के संयोजक देव कुमार धान ने कहा कि सन 1871 से 1951 तक आदिवासियों के लिए अलग आदिवासी धर्म कोड लागू था। लेकिन, 1961 में साजिश के तहत इसे हटा दिया गया।
15 अक्टूबर को किया था चक्का जाम
जनगणना फॉर्म में सरना धर्मकोड कॉलम शामिल करने की मांग को लेकर केंद्रीय सरना समिति समेत आदिवासी संगठनों ने पिछले गुरुवार को रांची समेत पूरे राज्य में चक्का जाम किया था। 500 से अधिक आदिवासी नेताओं-कार्यकर्ताओं ने गिरफ्तारियां दीं थी।