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छात्र-छात्राओं को प्रमोट कर दिया गया:9वीं के छात्र बिना परीक्षा प्रमोट, इनमें 3 लाख तक ऐसे जो फेल होते, अब 10वीं रिजल्ट पर दिखेगा असर

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कोरोना के कारण इस बार भले ही 9वीं के छात्र-छात्राओं को प्रमोट कर दिया गया, लेकिन इसका असर राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10वीं कक्षा के नतीजों पर पड़ना लगभग तय है। यह आशंका इसलिए और भी बढ़ जाती है, क्योंकि पहली से 8वीं तक भी बच्चों को फेल नहीं किए जाने का नियम है और वे अगली कक्षा में प्रमोट होकर आते रहते हैं।

आंकड़े बताते हैं कि 9वीं में हर साल करीब 2.5 लाख से 3 लाख छात्र फेल हो जाते हैं। लेकिन इस बार ये 10वीं कक्षा के लिए योग्य घोषित हो गए हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि जो छात्र 9वीं में फेल हो जाते, क्या वे 10वीं कक्षा पास कर पाएंगे? विशेषज्ञ बताते हैं कि इसका असर सीधा 10वीं कक्षा के रिजल्ट पर आएगा। दसवीं कक्षा के रिजल्ट के आंकड़ों पर नजर डालें तो सामने आया कि इस परीक्षा में भी हर साल करीब 3 लाख

छात्र-छात्राएं फेल होते हैं। अब इनमें 9वीं में फेल होने वाले छात्रों का आंकड़ा भी शामिल हो गया तो 10वीं का रिजल्ट दोगुना प्रभावित हो जाएगा। विशेषज्ञों का मत है कि पिछले 5 साल में 10वीं का रिजल्ट 80 फीसदी के करीब रहा है। इस बार यह 60 फीसदी से कम पर आ सकता है। उनका कहना है कि यह भी तब संभव है, जब सिलेबस समय पर तय हो और स्कूल खुलने पर बच्चों के लिए एक्स्ट्रा क्लासेज लगाई जाएं।

बच्चों का साल खराब नहीं होना चाहिए, लेकिन ये तथ्य पैदा कर रहे आशंका

आशंका 1 : आरटीई के तहत कक्षा 8वीं तक छात्रों को फेल नहीं किया जाता। कक्षा 9वीं में पहली बार फेल किए जाने का सिस्टम लागू होता है। इससे 9वीं कक्षा का परीक्षा परिणाम 30 फीसदी तक प्रभावित होता है। लेकिन इस बार 9वीं में कोई फेल नहीं। यानी 100 फीसदी छात्र 10वीं की परीक्षा देंगे। ऐसे में रिजल्ट पर असर तय।

2 : ऑनलाइन एजुकेशन के हालात खराब हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कहीं इंटरनेट नहीं हैं तो कहीं शहरी क्षेत्रों के छात्रों को भी धीमे इंटरनेट से जूझना पड़ रहा है। एक सर्वे के मुताबिक सरकारी स्कूलों के तो करीब 70% छात्रों के पास तो ऑनलाइन क्लास लेने के संसाधन तक नहीं हैं। प्रॉपर पढ़ाई नहीं होने का असर रिजल्ट पर दिखेगा।

3 : स्कूल खुले होने पर छात्र वहां तो पढ़ते ही थे, परिजन उनके लिए कोचिंग व ट्यूशन की भी व्यवस्था कराते थे। एक्स्ट्रा क्लासेज की व्यवस्था भी होती थी, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं है। न तो स्कूल खुले, न ही परिजन कोरोना के कारण बच्चों को कोचिंग या ट्यूशन पढ़ाने में रुचि दिखा रहे हैं। ऐसे में परिणाम पर प्रभाव दिखेगा।

10वीं का रिजल्ट बिगड़ेगा, अब भी सिलेबस तय कर दें तो हो सकता है सुधार

सीबीएसई ने जुलाई में ही 30 फीसदी कमी के साथ बोर्ड सिलेबस तय कर दिया गया था। जबकि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से सिलेबस अभी तक तय नहीं हुआ। शिक्षाविदों की राय है कि बोर्ड सिलेबस जल्द तय होना चाहिए। ताकि छात्रों को तैयारी में वक्त मिले। बोर्ड को रिजल्ट सुधार करने के लिए एक्सट्रा क्लासेज लगाने पर जोर देना चाहिए। रेगुलर क्लासरूम की तरह ही एक्सट्रा क्लासेज के लिए भी विशेष प्रोग्राम करना चाहिए। भास्कर एक्सपर्ट : आरएससीईआरटी के पूर्व निदेशक दिनेश कोठारी, बोर्ड के पूर्व चेयरमैन बीएल चौधरी, पाठ्यपुस्तक समिति के पूर्व लेखक और शिक्षाविद् प्रो. चंद्रशेखर शर्मा)

प्रमोट किए बच्चों पर फोकस की जरूरत : डॉ. जारोली
आप सही कह रहे हैं। बोर्ड कक्षाओं में प्रमोट हुए विद्यार्थियों पर ध्यान देने की जरूरत हुई महसूस हुई है। हमारे संज्ञान में यह बात आई है। अब इस ओर विशेष ध्यान दिया जाएगा। हमारी कोशिश है कि बोर्ड रिजल्ट बेहतर रहे। हर साल बोर्ड की ओर से रिजल्ट बेहतर देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम किए जाते हैं। इस सत्र के दौरान इस बिन्दु का खास ख्याल रखा जाएगा।