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ठोस कदम नहीं उठाए तो बर्बाद हो जाएगा रिटेल सेक्‍टर! कैट ने सरकारों से की विशेष पैकेज की मांग

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व्‍यापारियों के संगठन कैट ने कहा कि कोविड-19 के कारण बने हालात से देश में एक चौथाई दुकानें बंद होने की कगार पर आ गई हैं. अगर रिटेल सेक्‍टर पर बुरा असर पड़ा तो ये भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के लिए काफी नुकसानदायक साबित होगा.

नई दिल्‍ली. कोरोना संकट और लॉकडाउन की वजह से देश के खुदरा बाजार के सामने सदी का सबसे बड़ा संकट खड़ा हो गया है. व्यापारियों के संगठन कैट ने कहा कि अगर केंद्र व राज्‍य सरकारों ने रिटेल सेक्‍टर को संकट से निकालने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए तो ये बाजार पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा. कैट ने कहा कि कोविड-19 की वजह से करीब 25 फीसदी यानी 1.75 करोड़ दुकाने बंद होने की कगार पर आ गई हैं. अगर रिटेल सेक्टर को बड़ा नुकसान हुआ तो ये देश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत घातक हो सकता है.

महज 7 फीसदी छोटे कारोबारियों को बैंकों से मिल रही है मदद
कैट ने दावा किया है कि सिर्फ 7 फीसदी छोटे कारोबारियों को बैंक या अन्य वित्तीय संस्थानों से आर्थिक मदद मिल पा रही है. इनके अलावा 93 फीसदी छोटे व्यापारी अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए अन्य अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर है. व्यापारी संगठन ने मांग की है कि सरकार इस सेक्‍टर के लिए अलग से एक पैकेज की घोषणा करे. कैट ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार के टैक्‍स के भुगतान, ईएमआई, पानी व बिजली के बिल, प्रॉपर्टी टैक्‍स, ब्याज का भुगतान और मजदूरी के भुगतान के कारण कारोबारियों पर बड़ा आर्थिक बोझ आ गया है.

राहत पैकेज में छोटे कारोबारियों के लिए नहीं है एक भी रुपया
कोरोना संकट के बीच लगभग हर एक सेक्टर बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए केंद्र सरकार ने जीडीपी के 10 फीसदी यानी 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी. कैट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज में से घरेलू व्यापार को उबारने के लिए एक रुपया भी नहीं दिया गया. कैट के अध्यक्ष बीसी भरतिया और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि इस राहत पैकेज में प्रवासी श्रमिकों के साथ तमाम क्षेत्रों के लिए कुछ ना कुछ प्रावधान किया गया, लेकिन इसमें घरेलू व्यवसाय के लिए कुछ भी नहीं था.

देश का घरेलू व्यापार है दुनिया का सबसे बड़ा स्‍वसंगठित क्षेत्र


कैट ने कहा कि कारोबारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक बार के आह्वान पर आपूर्ति श्रृंखला को बिना रुकावट जारी रखा. इसके बाद भी राहत पैकेज में व्‍यापारियों के लिए कुछ भी प्रावधान नहीं किया गया. व्यापारी संगठन ने दावा किया है कि घरेलू व्यापार का असंगठित क्षेत्र के तौर पर जिक्र किया गया है, जबकि यह दुनिया का सबसे बड़ा स्‍वसंगठित क्षेत्र है. देश के घरेलू बाजार में 7 करोड़ से अधिक व्यापारी हैं. यहीं नहीं, इससे देश भर में 40 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार भी मिलता है. देश के घरेलू व्यापार में करीब 8,000 से ज्‍यादा वस्तुओं का व्यापार होता है.