केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री ने कहा, ‘हमारी सरकार कभी भी किसी बहस या चर्चा से दूर नहीं रही है, लेकिन ये राष्ट्र के विषय में संवेदनशील हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता से संबंधित रणनीतिक मुद्दों पर खुले तौर पर चर्चा नहीं की जाती है.
सोमवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र के काफी हंगामेदार होने की संभावना जताई जा रही है. एक तरफ सरकार इस सत्र में 11 अध्यादेशों को प्राथमिकता पर पारित करवाना चाहेगी. तो वहीं, दूसरी तरफ विपक्ष कोरोना महामारी देश की गिरती जीडीपी और पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ भारत के सीमा विवाद को प्राथमिकता के साथ उठाने की कोशिश करेगा.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी लगातार ट्वीट कर रहे हैं कि देश को यह जानने की जरूरत है कि सीमा पर क्या हो रहा है? लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी सरकार से संसद को विकास के बारे में बताने का अनुरोध किया है. एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने शुक्रवार को कहा कि सरकार को वास्तविक नियंत्रण रेखापर होने वाले घटनाक्रमों के बारे में संसद में बताना चाहिए. कई विपक्षी सांसदों ने इस मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए दोनों सदनों में नोटिस भी दे दिया है. एक तरफ विपक्ष सीमा विवाद पर चर्चा को मुद्दा बना रहा है तो वहीं, दूसरी तरफ सरकार के सूत्रों का कहना है कि इस मुद्दे पर चर्चा की इजाजत मिलने की संभावना कम है.
राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता का हवाला
केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री ने कहा, ‘हमारी सरकार कभी भी किसी बहस या चर्चा से दूर नहीं रही है, लेकिन ये राष्ट्र के विषय में संवेदनशील हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता से संबंधित रणनीतिक मुद्दों पर खुले तौर पर चर्चा नहीं की जाती है.’
एक अन्य कैबिनेट मंत्री ने सीएनएन-न्यूज 18 को बताया, “विपक्ष लंबे समय से सत्ता में है, खासकर कांग्रेस.” “हम उनसे इस तरह के मामले से राजनीति को दूर रखने की उम्मीद करेंगे. हमें अभी से अपनी सेना के साथ खड़े होने की जरूरत है.”
इस बार नहीं होगा प्रश्नकाल
14 सितंबर से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में कोरोना की वजह से प्रश्नकाल नहीं होगा. प्राइवेट मेंबर बिल पेश नहीं कर सकेंगे. राज्यसभा सचिवालय ने हाल ही में यह नोटिफिकेशन जारी किया था. सरकार के इस फैसले का विपक्षी सांसद विरोध कर रहे हैं. मानसून सत्र 1 अक्टूबर तक चलेगा