24 फरवरी 2020 को FSSAI नेलोगों की सेहत को ध्यान में रख कर खाद्य पदार्थों पर मैन्यूफैक्चरिंग और बेस्ट बीफोर डेट अंकित करने को कहा है. इस रूल के आने से सबसे ज्यादा परेशान छोटे मिठाई की दुकान वाले हैं. इस वजह से अब कारोबारियों ने इस आदेश में संशोधन की मांग की है. उनका कहना है कि डिब्बा बंद मिठाइयों में तो ऐसा करना संभव है, लेकिन मिठाई की छोटी दुकानों में खुली (लूज) बिकने वाली मिठाइयों में ऐसा करना जरा कठिन है. इसलिए आदेश में संशोधन किया जाए.
आदेश को लागू करने में छोटे हलवाई असमर्थ
छोटे कारोबारियों के संगठन फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया व्यापार मंडल (फैम) का कहना है कि (FSSAI) ने 24 फरवरी 2020 को जारी आदेश में सभी डब्बा बंद मिठाई के साथ साथ खुली बिकने वाली मिठाइयों पर भी मैन्यूफैक्चरिंग डेट (Manufacturing Date) और बेस्ट बीफोर डेट (Best Before Date) छापने को कहा है. पहले यह आदेश एक जून 2020 से लागु होना था परन्तु कोरोना महामारी के चलते यह कानून अब यह एक अक्टूबर 2020 से लागू होना है. इस आदेश को लागू करने में छोटे हलवाई असमर्थ हैं. देश में हजारों ऐसे हलवाई हैं, जो शाम में जलेबी या किसी अन्य मिठाई की दुकान सजाते हैं और कुछ घंटे में ही बेच कर छुट्टी. ऐसे हलवाई कैसे इन सब प्रावधानों को लागू कर पाएंगे?
भारत में अभी भी पैक्ड मिठाई सामान्य लोगों की पहुंच से बाहर
संगठन का कहना है कि इसी तरह मिठाई की छोटी-छोटी दुकानों में आज बनी मिठाई आज ही बिक जाती है या कल तो निश्चित रूप से बिक ही जाती है. मिठाई आमतौर पर खरीदने के तुरंत बाद बहुत कम अवधि में में ही उपभोग में लाई जाती है. भारत जैसे गरीब राष्ट्र में अभी भी पैक्ड मिठाई और चॉकलेट सामान्य लोगों की पहुंच से बाहर हैं. फैम ने अपने पत्र में लिखा है कि 60 से 70 फीसदी जनसंख्या ग्रामीण और अर्द्ध शहरी क्षेत्रों में रहती है. वहां मिठाई की छोटी दुकानों का ही चलन है. इसलिए वहां इस तरह का आदेश लागू करना व्यवहारिक नहीं है.
छोटे हलवाई कारोबार से हाथ धो बैठेंगे
फैम के राष्ट्रीय महामंत्री वी के बंसल का कहना है कि हलवाई या मिठाई विक्रेता जो सामान्यतः बहुत छोटा कारोबारी हैं, उनके लिए इन नियमों का पालन करना अत्यंत मुश्किल होगा. इसे लागू किये जाने के बाद सरकारी उत्पीड़न बढ़ने के साथ ही साथ छोटे छोटे मिठाई विक्रेता अपने कारोबार से भी हाथ धो बैठेंगे. ऐसे में उक्त आदेश के चलते लाखो की संख्या में मिठाई कारोबार से जुड़े लघु कारोबारी बेरोज़गार हो सकते है. संगठन ने इस पत्र की प्रतिलिपि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ,स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और खाद्य तथा उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान को भी भेजी गयी है.