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मुंगेली जिले में धारा 144 लागू.. उल्लंघन करने पर होगी कड़ी कार्यवाही…कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए कलेक्टर भूरे ने रैली, धरना प्रदर्शन सहित कई कार्यक्रमों पर लगाई रोक..

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मुंगेली/ कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए मुंगेली कलेक्टर द्वारा जिले में धारा 144 लागू किया गया, जिसके बाद से मुंगेली में रैली, धरना प्रदर्शन पर प्रतिबंध हैं, राज्य शासन ने भीड़ नियंत्रित करने के उद्देश्य से धारा 144 लागू की है।
साथ ही मुंगेली कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भूरे ने विवाह और सामूहिक भोज समारोह, सहित मुंगेली जिला में स्थित समस्त मंदिर, मस्जिद-मजार, गुरुद्वारा, चर्च तथा अन्य धार्मिक मेले, इत्यादि में आम नागरिकों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया हैं, धार्मिक स्थलों में पूजा आराधना पूर्ववत चलती रहेगी, धार्मिक पूजा स्थलों में दर्शनार्थियों/श्रद्धालुओं का प्रवेश आगामी आदेश तक पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा। साथ जिला-मुंगेली सभी प्रकार के सभा एवं आयोजन पूर्णतः स्थगित रहेंगे।

बालको ने कोरोना विषाणु के प्रति जागरूकता के लिए संचालित किया अभियान

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अफवाहों पर भरोसा न करने और शंका पर चिकित्सकों से संपर्क करने अपील
कोरबा। कोरोना विषाणु के प्रति जागरूकता के लिए भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) प्रबंधन ने बालकोनगर टाउनशिप में घर-घर संपर्क अभियान संचालित किया है। बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक अभिजीत पति के मार्गदर्शन में बालको के प्रशासन एवं सिक्योरिटी प्रमुख अवतार सिंह ने 6 टीमों के साथ नागरिकों को कोरोना विषाणु से बचाव के तरीकों से अवगत कराया। श्री सिंह और उनकी टीमों ने बालकोनगर में घर-घर संपर्क कर नागरिकों की जागरूकता के लिए पाम्पलेट बांटे। बालको अस्पताल की ओर से जनहित में प्रकाशित पाम्पलेट के जरिए नागरिकों को कोरोना विषाणु से बचाव के लिए ‘क्या करें एवं ‘क्या न करें संबंधी जानकारी दी गई। इसके साथ ही सभी नागरिकों से अनुरोध किया जा रहा है कि वे सामूहिक आयोजनों में जाने से बचें। यदि आवश्यक न हो तो बस, ट्रेन या हवाई यात्रा न करें। अफवाहों पर विश्वास न करें और किसी भी तरह की शंका होने पर चिकित्सक की मदद लें।

22 लाख ठगी करने वाला गोविंदा गिरफ्तार

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तीन साल से फरार था ठगी का आरोपी आरक्षक
कोरबा।
जिला पुलिस बल में आरक्षक बतौर कार्यरत युवक ने वन विभाग के अधिकारियों से करीबी जान-पहचान होने का झांसा देकर 14 लोगों को नौकरी लगवाने के नाम पर ठगा। 3 साल पहले ठगी के बाद आरोपी फरार हो गया। फरारी के दौरान उसने स्थानीय से लेकर हाईकोर्ट तक अग्रिम जमानत की याचिकाएं दाखिल की किंतु कहीं से भी राहत नहीं मिली और अंतत: थक-हारकर आज मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष उपस्थित होकर आत्म समर्पण कर दिया। रामपुर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर रिमांड पर जेल दाखिल करा दिया है।
रामपुर पुलिस चौकी प्रभारी एसआई राजेश चंद्रवंशी ने बताया कि प्रार्थी सत्यप्रकाश देवांगन पिता छबिलाल देवांगन निवासी आदर्श नगर पोड़ीबहार व अन्य के द्वारा आरोपी एल गोविंदा राव के विरूद्ध फॉरेस्ट व अन्य विभाग में नौकरी लगाने का झांसा देकर लोगों से रकम लेकर धोखाधड़ी कर फरार होने के संबंध में एक आवेदन प्रस्तुत किया गया था। आवेदन पर 26 अप्रैल 2017 को आरोपी एल. गोविंदा राव पिता एल नीला राव 33 वर्ष निवासी रामपुर बस्ती के विरूद्ध अपराध क्र. 270/17 अंतर्गत धारा 420 भादवि के तहत जुर्म दर्ज कर विवेचना की जा रही थी। आरोपी एल गोविंदा राव पुलिस विभाग में आरक्षक 920 (डाक रनर) के पद पर रक्षित केन्द्र में तैनात था। विवेचना के दौरान पाया गया कि आरोपी अपना परिचय फॉरेस्ट विभाग के बड़े अधिकारियों होने का झांसा देकर उस समय चल रही फॉरेस्ट गार्ड की भर्ती प्रक्रिया के दौरान नौकरी लगाने के नाम पर 14 लोगों से 22 लाख 10 हजार रुपए की धोखाधड़ी कर फरार हो गया। दूसरी तरफ आरोपी की मां की सूचना पर 18 अप्रैल 2017 को गोविंदा राव के गुमने के संबंध में गुम इंसान क्र. 43/17 रामपुर चौकी में दर्ज कर पतासाजी की जा रही थी। आरोपी के द्वारा आज सीजेएम कोर्ट में आत्म समर्पण कर दिया गया जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर जेल दाखिल कराने की कार्यवाही की गई। गिरफ्तारी के बाद अब आरक्षक राव को सेवा से बर्खास्त करने की कार्यवाही जल्द ही की जाएगी।

जिला न्यायालय सहित अन्य कोर्ट में 31 मार्च तक सुनवाई स्थगित

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जरूरी मामले सुने जाएगें, कोर्ट में पेश नहीं होगें बंदी
कोरबा।
जिला एवं सत्र न्यायालय समेत अन्य कोर्ट परिसरों में कोरोना के मद्देनजर सुरक्षा के एहतियात के तौर पर कदम उठाए गए हैं। न्यायालय में केवल आवश्यक मामलों की सुनवाई होगी। 19 से 31 मार्च तक अन्य शेष मामलों की सुनवाई स्थगित कर दी गई है। इसके अलावा कोरोना वायरस से बचाव को लेकर कोर्ट परिसर में ऐहतियात बरते गए हैं।
गुरुवार को डीजे राकेश बिहारी घोरे ने चर्चा के दौरान बताया कि हाईकोर्ट के एडवायजरी के अनुरूप बेल पिटिशन, 164 कथन स्टे एप्लीकेशन व आवश्यक सुनवाई को छोड़कर शेष अन्य मामलों में सुनवाई 31 मार्च तक स्थगित कर दी गई है। बंदी कोर्ट रूम में पेश नहीं होंगे। जरूरी होने पर सुनवाई में वीडियो कान्फ्रेंसिंग की मदद ली जाएगी। कोर्ट परिसर में कोरोना से बचाव के लिए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। जगह-जगह सेनेटाइजर लगाए गए हैं वहीं कोरोना से बचाव को लेकर जागरूकता संदेश भी चस्पा किए गए है। अधिवक्ता मॉस्क लगाकर कोर्ट पहुंच रहे हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना के रोकथाम के लिए एहतियाती कदम उठाए गए हैं। जिला न्यायालय के अलावा कटघोरा सहित अन्य सिविल न्यायालय में भी गाइड लाइन का पालन किया जा रहा है। पक्षकारों का परेशानी का सामना न करना पड़े इसका भी ध्यान रखा जा रहा है।
चस्पा किया गया है दिशा-निर्देश
जिला अधिवक्ता संघ की ओर से एहतियात के तौर पर 18 बिंदुओं के दिशा-निर्देश जारी कर न्यायालय परिसर में चस्पा किया गया है। इसमें अधिवक्ता साथियों से भी गुजारिश की गई है कि वे अपने पक्षकारों को न्यायालय परिसर में बुलाने की परिस्थिति यथा संभव टालें। पक्षकारों, गवाहों व अधिवक्ताओं की ओर से प्रकरण में समय लिए जाने पर न्यायालय की ओर से दिया जाएगा। दांडिक प्रकरणों में अभियुक्त की व्यक्तिगत उपस्थिति से न्यायालय की ओर से उदारता पूर्वक छूटी भी दी जाएगी। जेल अभिरक्षा में निरूद्घ पक्षकारों को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय न लाकर वीडियो कांफें्रसिंग की व्यवस्था की जाएगी। अधिवक्ताओं को भी दिन विशेष में कोई काम न हो तो कोर्ट आने से बचने, जरूरी न हो तो पक्षकारों को भी कोर्ट आने से मना करने, बिना पंजीयन वाले जूनियर अधिवक्ताओं को काम न होने पर कोर्ट आने से रोकने भी कहा गया है। इन सब बिंदुओं के बीच सबसे अहम कदम ये है कि बिना आवश्यकता के कोई भी व्यक्ति कोर्ट परिसर में प्रवेश न करे, यह सुनिश्चित करने पुख्ता इंतजाम बुधवार को नजर नहीं आया। ऐसी स्थिति में पुलिस की मदद से परिसर के प्रवेश द्वार पर ही मौजूदगी सुनिश्चित कर व्यवस्था दुरूस्त की जा सकती है, जैसी व्यवस्था बुधवार को बिलासपुर में देखने को मिली।

बस से दिगर राज्यों की यात्रा पर पाबंदी

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सीएम ने बस सेवाओं को आगामी आदेश तक बंद रखने का किया ऐलान
कोरबा। 
कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए केन्द्र व राज्य सरकार कड़े फैसले ले रही है। इससे पहले जहां स्कूल, कालेज, मल्टीप्लेक्स और दूसरे सभी सार्वजनिक स्थानों को बंद रखने का फैसला सरकार ने किया था तो वहीं अब सीएम भूपेश बघेल ने प्रदेश भर के अंतरराज्यीय बस सेवाओं को भी आगामी आदेश तक बंद रखने का निर्देश परिवहन विभाग को दिया है। इस आदेश के बाद कोरबा से चलने वाली अंतरराज्यीय बस सेवाओं के पहिए भी थम जाएंगे। 
ट्विटर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस संबंध में ट्विट किया है कि कोरोना वायरस के संक्रमण का प्रभाव छत्तीसगढ़ राज्य के कई सीमावर्ती राज्य में प्रकाश में आया है। जिसे देखते हुए छत्तीसगढ़ राज्य में अन्य राज्यों से आने तथा जाने वाली बसों के परिवहन को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है। इसके साथ ही अखिल भारतीय पर्यटक परमिट वाली समस्त यात्री वाहन का संचालन भी आगामी आदेश तक स्थगित किया जाता है। कोरबा से भी अंतरराज्यीय सेवाओं की कई बसें संचालित होती है जो इस आदेश के बाद बंद हो जाएगी। 
मॉल व चौपाटी भी रहेंगे बंद
कोरोना के मद्देनजर राज्य सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। राज्य के सभी शापिंग मॉल, चौपाटी और कोचिंग सेंटर को बंद कर दिया गया है। राज्य सरकार ने इन सभी जगहों को 31 मार्च तक के लिए बंद करने का आदेश दिया है। इससे पहले राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी स्कूल, कालेज, स्वीमिंग पुल, लाइब्रेरी, जिम सहित सार्वजनिक क्षेत्र को 31 मार्च तक बंद करने का आदेश दिया था।आज उसी कड़ी में एक अहम आदेश जारी कर राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी शापिंग मॉल, कोचिंग सेंटर और चौपाटी को बंद करने का आदेश दिया है। इस आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।

कुछ मिनट के तूफान ने मचा दी जमकर तबाही

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कोरबा। दोपहर को अचानक मौसम में परिवर्तन होने के साथ काली घटाएं छाई रही। तेज हवा के कारण विद्युत व्यवस्था बाधित रही। वहीं तेज हवा के कारण कई स्थानों के पेड़ व विद्युत खंभे गिर गए। पुराना न्यायालय मार्ग से परिवहन कार्यालय की ओर जाने वाली सड़क पर बिजली खंभा गिर जाने से आवागमन अवरूद्ध हो गया। अपर कलेक्टर प्रियंका महोबिया के आवास के पास भी आवागमन बाधित रहा क्योंकि उक्त मार्ग से ही पीडब्ल्यूडी आवासीय परिसर में जाना पड़ता है। मार्ग बाधित रहने से जाम लगा रहा। वहीं कलेक्टोरेट परिसर में भी एक पेड़ गिरने से बच गया। इसके अलावा शहरी व ग्रामीण अन्य क्षेत्रों में भी तेज आंधी-तूफान से भारी नुकसान व जनजीवन प्रभावित रहा है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला-मध्य प्रदेश विधानसभा में शुक्रवार को होगा फ्लोर टेस्ट

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विधानसभा कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिंग होगी
विश्वास मत हाथ उठाकर किया जाए
बागी विधायकों को कर्नाटक के डीजीपी सुरक्षा मुहैया कराएं
नई दिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश विधानसभा में कल यानि 20 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने आज सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद ये फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक अस्थिरता खत्म करने के लिए फ्लोर टेस्ट जरुरी है।
कोर्ट ने कहा कि पूरे विधानसभा की कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिंग होगी। कोर्ट ने 20 मार्च की शाम 5 बजे तक फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि अगर बागी विधायक आना चाहते हैं तो उन्हें कर्नाटक के डीजीपी सुरक्षा मुहैया कराएं। कोर्ट ने कहा कि विश्वास मत हाथ उठाकर किया जाए।
सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री कमलनाथ की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यह एक अलग ही मामला है। इसमें किसी ने राज्यपाल के सामने यह दावा नहीं किया है कि उसके पास बहुमत है। अरुणाचल प्रदेश के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के आदेश को गलत बताया था। तब राज्यपाल ने सत्र बुलाने के साथ उसकी कार्रवाई पर भी निर्देश दिए थे। सिब्बल ने कहा कि कुछ विधायक सदन में नहीं आएंगे। सरकार गिर जाएगी। विधायक नई सरकार में कोई पद ले लेंगे। क्या आप ऐसा उदाहरण स्थापित करेंगे? चलिए, मान लिया कि विधायक बंधक नहीं, आज़ाद हैं। तो फिर विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव क्यों नहीं लाता? विधायक सामने क्यों नहीं आते? मुख्यमंत्री उनकी सुरक्षा का वचन दे रहे हैं।
सुनवाई के दौरान अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि सिर्फ फ्लोर टेस्ट-फ्लोर टेस्ट का मंत्र जपा जा रहा है। स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में दखल देने की कोशिश हो रही है। सुप्रीम कोर्ट भी स्पीकर के विवेकाधिकार में दखल नहीं दे सकता है। सिंघवी ने कहा कि विधायक बागी हो गए हैं। सदन छोटा हो गया है। 16 लोगों के बाहर रहने से सरकार गिर जाएगी। नई सरकार में यह 16 कोई फायदा ले लेंगे। उन्होंने कहा कि कोर्ट को स्पीकर के लिए कोई समय तय नहीं करना चाहिए। स्पीकर को समय देना चाहिए। लेकिन फिर भी आप कह दीजिए कि उचित समय मे स्पीकर तय करे तो वह 2 हफ्ते में तय कर लेंगे। तब जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर विधायक वीडियो कांन्फ्रेंसिंग से बात करें तो क्या स्पीकर फैसला ले लेंगे? इसका सिंघवी ने नकारात्मक जवाब दिया।
सिंघवी ने कहा कि कोर्ट के बिना आदेश के स्पीकर दो हफ्ते में इस्तीफे या अयोग्यता पर फैसला कर लेंगे। इस्तीफे और अयोग्यता पर बिना फैसला हुए, फ्लोर रेस्ट नहीं होना चाहिए। सिंघवी ने कहा कि अगर विधायक बंधक नहीं हैं तो राज्यसभा चुनाव लड़ रहे दिग्विजय सिंह को अपने वोटर से मिलने क्यों नहीं दिया गया? सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल फ्लोर टेस्ट कराने की जरूरत बताई। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा नहीं देना चाहते। इसलिए जल्दी फ्लोर टेस्ट ज़रूरी होता है। सिंघवी ने कहा कि जब विधानसभा का सत्र चल रहा हो उस दौरान कोर्ट ने कभी भी फ्लोर टेस्ट का आदेश नहीं दिया है। यह मामला भी ऐसा ही है।
सिंघवी ने कहा कि कर्नाटक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर के अधिकारों को अहमियत दी थी। कोर्ट ने इस्तीफों पर फैसला लेने की कोई समय सीमा भी तय नहीं की थी। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हमने यह भी कहा था कि विधायक सदन की कार्रवाई में जाने या न जाने का फैसला खुद ले सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि कर्नाटक के आदेश स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं देता कि वो कब तक अयोग्यता पर फैसला ले लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि फ्लोर टेस्ट न हो। कर्नाटक के मामले में अगले दिन फ्लोर टेस्ट हुआ, कोर्ट ने विधायकों की अयोग्यता के मामले को लंबित होने की वजह से फ्लोर टेस्ट नही टाला था ।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि संवैधानिक सिद्धांत जो उभरता है, उसमें अविश्वास मत पर कोई प्रतिबंध नहीं है क्योंकि स्पीकर के समक्ष इस्तीफे या अयोग्यता का मुद्दा लंबित है। इसलिए, हमें यह देखना होगा कि क्या राज्यपाल उसके साथ निहित शक्तियों से परे काम करेंगे या नहीं। दूसरा सवाल ये है कि यदि स्पीकर राज्यपाल की सलाह को स्वीकार नहीं करता है, तो राज्यपाल को क्या करना चाहिए। एक विकल्प यह है कि राज्यपाल अपनी रिपोर्ट केंद्र को दे।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि एक बात बहुत स्पष्ट है कि सभी विधायक एक साथ कार्य कर रहे हैं। यह एक राजनीतिक ब्लॉक हो सकता है, हम कोई भी दखल नहीं दे सकते। जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि संसद या विधानसभा के सदस्यों को विचार की कोई स्वतंत्रता नहीं है, वे व्हिप से संचालित होते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा नियम के मुताबिक इस्तिफा एक लाइन का होना चाहिए। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर सदन सत्र में नहीं है और यदि सरकार बहुमत खो देती है, तो राज्यपाल को विश्वास मत रखने के लिए स्पीकर को निर्देश देने की शक्ति है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि क्या होगा जब विधानसभा को पूर्व निर्धारित किया जाता है और सरकार अपना बहुमत खो देती है? राज्यपाल फिर विधानसभा नहीं बुला सकते ? चूंकि इसे अनुमति नहीं देने का मतलब अल्पमत में सरकार जारी रखना होगा। जस्टिस चंद्रचूड़ ने सिंघवी से पूछा कि आपके अनुसार राज्यपाल केवल सदन को बुला सकते हैं और फिर इसे सदन पर छोड़ सकते हैं। तब सिंघवी ने कहा कि हां। जस्टिस हेमंत गुप्ता ने पूछा कि अगर सरकार अल्पमत में है, तो क्या राज्यपाल के पास विश्वास मत कराने की शक्ति नहीं है। तब सिंघवी ने कहा कि नहीं, वह नहीं कर सकते उनकी शक्ति सदन बुलाने के बारे में हैं।
मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि विधानसभा का सत्र हमेशा पांच सालों के लिए होता है। इसका अभिषेक मनु सिंघवी ने विरोध करते हुए कहा कि यह सामान्य ज्ञान की बात है सदन पांच सालों के लिए होता है सत्र नहीं। सिंघवी ने कहा कि यह एक टेस्ट केस होगा कि क्या राज्यपाल को कोई सरकार अस्थिर करने का अधिकार है।
सिंघवी ने कहा कि राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, केरल और महाराष्ट्र में राज्य विधानसभाएं कोरोना वायरस की वजह से सस्पेंड कर दी गई हैं। कोर्ट को ये देखना चाहिए कि स्पीकर का फैसला गलत है कि नहीं। यहां तक कि संसद भी काम स्थगित करने पर विचार कर रही है।
सिब्बल ने कहा कि स्वतंत्र इच्छा वाले विधायक सामान्य फ्लाइट में नहीं गए। चार्टर्ड प्लेन में गए। तब जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि सबको चार्टर फ्लाइट का शौक होता है । उसके बाद सिब्बल ने कहा कि यह राजनीति का गंदा हिस्सा है। हम सबने इसे ऐसा बना दिया है। हम ज़िम्मेदार हैं। सिब्बल ने विधायकों को चार्टर्ड प्लेन से ले जाने में केंद्र की भूमिका का आरोप लगाया। सिब्बल ने कहा कि विधायकों को हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के हाई सिक्युरिटी क्षेत्र में उतारा गया। तब जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि इन दलीलों के आधार पर कोई संवैधानिक मामला तय नहीं किया जा सकता है।
बीजेपी के वकील रोहतगी ने सिब्बल के बोलते चले जाने पर एतराज़ जताया। रोहतगी ने कहा कि याचिकाकर्ता हम हैं। पहले दवे 2 घंटे बोले, फिर सिंघवी, और अब सिब्बल। हमें समय ही नहीं मिल रहा हैं। वही बातें दोहराई जा रही हैं। सिब्बल ने कहा कि सरकारिया आयोग और पुंछी कमीशन ने भी कहा कि राज्यपाल सिर्फ सत्र बुला सकते हैं। जब सत्र चल रहा हो तो अविश्वास प्रस्ताव लाता है विपक्ष।
सिब्बल के बाद जब वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा ने राज्य सरकार की ओर से बोलना शुरु किया तो रोहगती ने टोकते हुए कहा कि राज्य सरकार का इस केस से क्या लेना-देना। या तो कांग्रेस को या स्पीकर को इस केस से लेना-देना है। तब तन्खा ने कहा कि राज्यपाल का भी इस केस से क्या लेना-देना। तब तुषार मेहता ने कहा कि राज्यपाल के आदेश को चुनौती दी गई है। तन्खा ने कहा कि राज्यपाल को किसी विवाद में नहीं पड़ना चाहिए। जब तक इस्तीफा स्वीकार नहीं कर लिया जाता तब तक राज्यपाल ने कैसे समझ लिया कि सरकार अल्पमत में है।
मध्यप्रदेश विधानसभा के मुख्य सचिव की ओर से वकील हरीन रावल ने बोलना शुरु किया। उन्होंने कहा कि मैं प्रतिवादी तीन की तरफ से पेश हुआ हूं। तब रोहगती ने कहा कि प्रतिवादी तीन कौन है। तब रावल ने कहा कि जब उन्होंने हमें पक्षकार बनाया है तो वे बेहतर जानते होंगे कि मैं कौन हूं। इस पर मेहता ने कहा कि ये कोर्ट के धैर्य की परीक्षा लेने जैसा है।
जब रोहतगी तीसरी बार उठे तो जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा कि मेरा सवाल है कि आप अविश्वास प्रस्ताव क्यों नहीं पेश करते हैं। रोहतगी ने कहा कि विधानसभा चलाने के लिए राज्यपाल की शक्तियों का सबसे बढ़िया उदाहरण एसआर बोम्मई केस है। बोम्मई केस में कर्नाटक में विधानसभा चल रही थी। रोहतगी ने कहा कि बोम्मई केस में राज्यपाल ने खुद की अल्पमत का फैसला कर लिया था और राष्ट्रपति शासन लगा दी गई थी। तब जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा कि सवाल ये है कि जब सदन नहीं चल रहा हो तब क्या राज्यपाल सदन का एजेंडा फिक्स कर सकता है। स्पीकर को अभी इस्तीफा स्वीकार करना है। अगर स्पीकर इस्तीफा स्वीकार नहीं करता है तब क्या होगा। राज्यपाल ये फैसला नहीं कर सकते कि विधायकों ने इस्तीफा दिया है या नहीं। क्या कोर्ट राज्यपाल के निष्कर्षों के आधार पर आदेश पारित कर सकती है। तब रोहतगी ने कहा कि स्पीकर दो हफ्ते का समय क्यों लेना चाहते हैं। उनकी मुख्यमंत्री से मिलीभगत है। उन्होंने कहा कि अगर 16 विधायक उनके खिलाफ वोट दे देते हैं तो उनकी सरकार गिर जाएगी। अगर वे नहीं भी आते हैं तो भी सरकार गिर जाएगी क्योंकि फ्लोर टेस्ट सदन में मौजूद सदस्यों की वोटिंग के आधार पर होता है। अगर वे विधायक आते हैं और वे सरकार के पक्ष में वोट देते हैं तब सरकार बच जाएगी।
रोहतगी ने कहा कि पूर्व में ऐसे मामलों में वे आधी रात में कोर्ट आए थे और तुरंत फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की थी। इस मामले में वे दो हफ्ते का समय मांग रहे हैं ताकि वे हार्स ट्रेडिंग कर सकें। रोहतगी ने कहा कि हर रोज हार्स ट्रेडिंग में बदलाव आ रहा है। यह अल्पमत सरकार का असंवैधानिक काम है। कल ही उन्होंने तीन जिले बनाए हैं जबकि वो अर्ध-न्यायिक मामला है।
रोहतगी ने कहा कि मान लें कि ऐसी स्थिति आए जब विधानसभा अस्तित्व में हो लेकिन उसका सत्र नहीं चल रहा हो और 50 विधायक राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दें। राज्यपाल को लगेगा कि सरकार के पास बहुमत नहीं है और वो फ्लोर टेस्ट का आदेश दे सकते हैं। राज्यपाल को ये शक्ति है कि सत्र नहीं चल रहा हो तब भी फ्लोर टेस्ट का आदेश दे सकता है। रोहतगी ने कहा कि एक-एक मिनट महत्वपूर्ण है और एक मिनट की भी देरी हार्स ट्रेडिंग को बढ़ावा देगी। रोहतगी ने कहा कि बागियों ने तय किया है कि वे विधानसभा सत्र में हिस्सा नहीं लेंगे।
रोहतगी ने कहा कि इन्होंने बजट सत्र टाल दिया। बजट जो कि मनी बिल है, गिर जाता तो सरकार गिर जाती। पूरा सदन बैठा था। अचानक 12 बजे कोरोना वायरस आ गया। 10 बजे नहीं आया था। हिंदी में मुहावरा है कि सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली। मैं चाहता हूँ कि कोर्ट जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट के लिए अंतरिम आदेश दे ।
रोहतगी के बाद तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट जल्द आदेश दे। हर बीतने वाला दिन एक अंतर पैदा कर रहा है। मेहता ने कहा कि राज्यपाल प्रथम दृष्टया ये मानते हैं कि सरकार बहुमत खो चुकी है। उन्होंने कहा कि संसद चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट चल रहा है लेकिन विधानसभा कोरोना वायरस की वजह से स्थगित है। वे 15 मिनट का समय क्यों नहीं दे रहे हैं। वे आयोगों के लिए तब नियुक्तियां कर रहे हैं जब कोर्ट में मामला लंबित है। मेहता ने कहा कि लोकतंत्र ये नहीं है कि इस्तीफों पर बैठ जाया जाए और दो हफ्ते का समय मांगा जाए। मेहता ने आज ही अंतरिम आदेश जारी करने की मांग की।
बागी विधायकों की ओर से मनिंदर सिंह ने कहा कि छह मंत्रियों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया। 16 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया। दोनों ही स्पीकर के समक्ष उपस्थित नहीं हुए थे। तो 16 लोगों के इस्तीफे पर फैसला लंबित क्यों है। ये अंतर नहीं समझ में आता है। 16 विधायकों पर दसवीं अनुसूची की तलवार लटक रही है। अगर उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं होता है तो उन्हें अयोग्य करार दिया जा सकता है।
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि राज्यपाल की शक्तियों की न्यायिक समीक्षा हो सकती है। एसआर बोम्मई और रामेश्वर प्रसाद के केस में साफ है कि राज्यपाल की शक्तियों की न्यायिक समीक्षा हो सकती है। सिंघवी ने कहा कि सरकार जाते ही स्पीकर भी चले जाते हैं । तब कोर्ट में कई वकीलों ने एक साथ नो-नो बोला। जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि ऐसा नहीं होता मिस्टर सिंघवी। तब सिंघवी ने कहा कि राज्यपाल धारा 356 के तहत आदेश पारित कर दें। या तो सरकार बर्खास्त करें या दोबारा चुनाव की सिफारिश कर दें। क्यों नहीं करते ।
पिछले 18 मार्च को सुनवाई के दौरान मध्यप्रदेश कांग्रेस के वकील दुष्यंत दवे ने कहा था कि 16 विधायकों को अवैध रुप से हिरासत में रखा गया है। तब बागी विधायकों के वकील मनिंदर सिंह ने इसे गलत बताया था। मनिंदर सिंह ने कहा था कि कोई हिरासत में नहीं है । दवे ने कहा था कि कोर्ट बाद में विस्तार से मामले की सुनवाई करे ।
18 मार्च को सुनवाई के दौरान मुकुल रोहतगी ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा था कि यह 1975 में सत्ता के लिए देश पर इमरजेंसी थोपने वाली पार्टी है। किसी भी तरह सत्ता में बने रहना चाहती है। रोहतगी ने कहा था कि सत्ता के लिए अजीब दलीलें दी जा रही हैं। जिसके पास बहुमत नहीं है वह एक दिन सत्ता में नहीं रह सकता। रोहतगी ने कहा था कि यहां पहले खाली सीटों पर चुनाव की दलील देकर 6 महीने का प्रबंध करने की योजना है। चुनाव करवाना चुनाव आयोग का काम है। यहां इस पर विचार नहीं हो रहा, फ्लोर टेस्ट पर हो रहा है । तब जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करने से पहले स्पीकर का संतुष्ट होना ज़रूरी है।

डेथ वारंट पर रोक नहीं, निर्भया के दोषियों की फांसी का रास्ता साफ

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नई दिल्ली। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया मामले के दोषियों की डेथ वारंट पर रोक करने वाली याचिका खारिज कर दिया है। विनय, अक्षय औऱ पवन ने याचिका दायर कर 20 मार्च के डेथ वारंट पर रोक लगाने की मांग की थी। अब 20 मार्च को सुबह साढ़े पांच बजे सभी दोषियों की फांसी का रास्ता साफ हो गया है।
सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया था कि पवन की क्यूरेटिव याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया था कि पवन ने दूसरी दया याचिका दाखिल की थी लेकिन राष्ट्रपति ने उसपर विचार करने से मना कर दिया क्योंकि पहली दया याचिका सम्पूर्ण थी। ए पी सिंह ने पटियाला हाउस कोर्ट को इस बात की जानकारी दी और कहा कि अक्षय की दया याचिका राज्यपाल के पास लंबित है।
पिछले 18 मार्च को तीनों दोषियों की ओर से वकील एपी सिंह ने जब इस याचिका पर सुनवाई की मांग की थी तो एडिशनल सेशंस जज धर्मेंद्र राणा ने एपी सिंह से पूछा था कि आप अंतिम समय में ही क्यों आते हैं। कोर्ट ने पूछा कि कुछ और लंबित है क्या। तब एपी सिंह ने कहा था कि हां क्युरेटिव याचिका लंबित है। तब कोर्ट ने पूछा था कि क्या दया याचिका खारिज करने को चुनौती दी गई है। तब वकील एपी सिंह ने कहा कि अक्षय और पवन की दूसरी दया याचिका लंबित है।

कोरोना वायरस से दुनियाभर में 2.5 करोड़ नौकरियों पर संकट: संयुक्त राष्ट्र

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नई दिल्‍ली। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की एक एजेंसी ने गुरुवार को आशंका जताई है कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से दुनिया भर में करीब 2.5 करोड़ नौकरियां खत्म हो सकती हैं। लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समन्वित नीतिगत कार्रवाई वैश्विक बेरोजगारी पर कोरोना वायरस के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकती है।
दरअसल, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने ‘कोविड-19 और कामकाजी दुनिया, प्रभाव और कार्रवाई’ शीर्षक वाली अपनी प्रारंभिक मूल्यांकन रिपोर्ट में काम करने की जगह (कार्यस्थल) में श्रमिकों की सुरक्षा, अर्थव्यवस्था को मदद और रोजगार तथा आमदनी को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने के साथ-साथ बड़े पैमाने पर समन्वित उपाय का आह्वान किया है।
आईएलओ ने एक रिपोर्ट में कहा है कि इन उपायों में सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना, रोजगार बनाए रखने में सहायता (यानी कम अवधि का काम, वैतनिक अवकाश, अन्य सब्सिडी) और छोटे तथा मझोले उद्योगों के लिए वित्तीय और कर राहत शामिल हैं। इसके अलावा आईएलओ ने कहा है कि कोरोना वायरस के चलते पैदा हुए आर्थिक और श्रम संकट से दुनिया भर में करीब 2.5 करोड़ लोग बेरोजगार हो सकते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि 2008 में जैसा संकट देखा गया था, अगर हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समन्वित नीतिगत कार्रवाई पर गंभीरतापूर्वक अमल करें तो वैश्विक बेरोजगारी पर प्रभाव बहुत कम हो सकता है।

रायपुर और बिरगाँव निगम क्षेत्र में धारा-144(1) लागू, शराब दुकान, मॉल, चौपाटी, बाज़ार बंद

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए अब राजधानी रायपुर और बिरगाँव निगम क्षेत्र में धारा-144 लागू कर दिया गया है। कलेक्टर और एसपी ने संयुक्त प्रेसवार्ता कर यह जानकारी दी है। कलेक्टर ने कहा कि लोगों को संक्रमण से बचाने यह कदम उठाया गया है। हमारी कोशिश है कि हर स्तर पर सावधानी बरती जाए। भारत सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी के मद्देनज़र हर स्तर पर एहतियात कदम उठाए जा रहे हैं। लोगों को भीड़ से बचाने जागरूक किया जा रहा है. जिले में आयोजित सभी तरह के सार्वजनिक कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया.कलेक्टर ने यह भी जानकारी दी है कि ऐसे स्थान जहाँ पर भीड़ जमा होती है उन स्थानों को 31 मार्च तक के लिए बंद कर दिया गया है. इसमें शराब दुकानें, मॉल, चौपाटी, सब्जी बाज़ार को भी बंद कर दिया गया है।